قوله: (أو عدم ... إلخ) كأن زنت كافرة ولو بكافر بدارنا، فمسلم. قوله: (وإن بلغ ... إلخ) أي: من قلنا بإسلامه ممن تقدم. قوله: (بسبي) أي: لسبي لها وحدها لا سبيه وحده، وله زوجة بدار حرب، فنكاحه باق. قوله: (وتحل ... إلخ) يعني: مسبية وحدها. قوله: (ولا يصح بيع مسترق) يعني ولو كافراً. قوله: (أو افتداء أسير) أي: مسلم بكافر ذي رحم، فيقرق بينه وبين رحمه للحاجة.